नि: शब्द - डाॅ राधेश्याम कुशवाहा

(२)नि: शब्द 
वह कौन सी जगह ऐसी है जहां इंसान हो जाता स्तब्ध।
ढूंढता मतलब कुछ शब्दों के पर रह जाता है नि: शब्द ।।
यह जाता नि: शब्द लगे यह दुनिया बिल्कुल बेकार।
माया मोह संग नहीं जाये छूटे अपना सब घर द्वार।।
पापी भी इस जगह पर आकर धर्मात्मा बन जाता है।
जीवन भर करता पाप सभी पर फिर भी उपदेश सुनाता है।।
ऐसा लगता है अब से यह जरूर ही निश्कलंक हो जायेगा।
ले वानप्रस्थ अपने घर से यह जंगल में धूनी रमायेगा ।।
हो मज़बूर‌ अपने अहमों को प्रभु! समर्पित कर देता है।
कर परमेश्वर की याद आत्मसमर्पित कर देता है।।
ज्यों ही पीठ घुमाई उसने सब जाता है वह भूल ।
उसके दिलो-दिमाग पर फिर जम जाती है गहरी धूल ।।
अब बताओ प्रश्न का उत्तर ऐसा कौन सा है वह स्थान।
चलो बताये‌ देते हम अब उसको कहते हैं हम सब श्मशान।।
            समाप्त.
डॉ . राधेश्याम कुशवाहा विजय
साहित्यकार एवं एक्सप्लोरर 
फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश।

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