आनंद प्रथम निर्णय जीवन,
चलते रहना प्रगति जीवन,
साथ रखो गम का भार
कुछ ताने, तानों का सार,
तुम कुछ कर सको, चलो
रखो मन में विश्वास और चलो,
उन शब्दों को मार दो,
जो कहे तुमसे ना हो,
तुम अंधरे से भी प्यार करो
सूरज की धूप भी देह पर धरो,
तुम चलो जैसे दरिया, तूफान।
रखो मन में विश्वास और तूफान
ये दिल प्रेम मांगे, मन मांगे साथ
तुम चल पड़ो काटों में मिलेंगे हाथ,
फूल, फल, प्रेम, साथ, मीठी बातें,
संभल संभल ये जीवन की चाल,
तुम बढ़ो, गढ़ो खुद को सजो,
तुम धीर धरो और बढ़ो
ये काव्य है किसी कवि का,
इसमें कहीं अलंकार,
अलग-अलग रूप रस रंग,
ये जीवन सुखा है, ये भ्रम,
दीप सदैव जो जलता है
जीना तो जीवन में चलना है।
भवानी देव
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